Thursday, September 30, 2010

भाईचारे के नाम पर नंगलाल की पिटाई .......




नंगलाल बुक्का फाड़ फाड़ कर रो रहा था और रंगलाल उसे लगातार

पीटे जा रहा था । ये देख कर निहंगलाल से रहा न गया


निहंगलाल - क्यों पीट रहे हो इसको ?


रंगलाल - पीटूं नहीं तो क्या आरती उतारूँ इसकी ? पूरा देश भाईचारे

के लिए दुआ मांग रहा है और ये कमबख्त बकता है कि अब देश में

भाईचारा आ ही नहीं सकता..............


नंगलाल - हाँ हाँ नहीं आ सकता .........

निहंगलाल - लेकिन क्यों नहीं आ सकता ?


नंगलाल - इसलिए नहीं आ सकता क्योंकि 'भाई' तो दुबई में बैठा है

और चारा लालू प्रसाद यादव के पेट में है


Tuesday, September 28, 2010

चिल्ला वही रहे हैं जिनके हिस्से में नहीं आया




रंगलाल ने पूछा

बोल बेटा नंगलाल !

दिल्ली के राष्ट्र मण्डल खेलों की तैयारी में

किस किस ने कितना माल कमाया ?


नंगला ने मुँह खोला

और

मुस्कुराते हुए बोला

पापा !

मुझे
ये तो नहीं पता

कि किसने कितना खाया

लेकिन चिल्ला वही रहे हैं

जिनके हिस्से में नहीं आया





Saturday, September 25, 2010

नागपुर में हिन्दी हास्य कवि सम्मेलन - अपनेराम भी पहुँच रहे हैं




लो जी कल है नागपुर में हास्य कवि - सम्मेलन........

कहाँ है ?

पता नहीं..............

और कौन कौन कवि-कवयित्री हैं ?

पता नहीं

आयोजक कौन हैं ?

पता नहीं

तो फिर पता क्या है हलवा ?


यों ही समझ लो.........क्योंकि मुझे सिर्फ़ इतना पता है कि

रेलवे स्टेशन पर लोग कर मुझे ले जायेंगे

जहाँ रुकवायेंगे, रुक जाऊँगा और जहाँ कविता पढ़ने के लिए

खड़ा कर देंगे वहां कविता पढ़ दूंगा


हाँ ! वहां यदि कोई ब्लोगर बन्धु से मुलाक़ात हो सके

तो बेहतर होगा

मेरा मोबाइल - 094083 29393 तथा 092287 56902



धन्यवाद



Thursday, September 23, 2010

डिमाण्ड नंगलाल की........परेशानी रंगलाल की..........




रंगलाल बहुत परेशान था । सिर पकड़ कर बैठा था ।

मैंने पूछा - क्या हुआ भाई ? क्यों मुँह लटका रखा है ?

वो बोला - क्या बताऊँ भैया , मेरे बेटे नंगलाल ने दुखी कर रखा है ।

जब देखो तब रुपया मांगता रहता है, इतना खर्चीला हो गया है कि

लगता है मुझे नंग करके छोड़ेगा ।


मैंने कहा - तू दुखी मत हो, उसे रूपये की वैल्यू बता.............


वो बोला - बतायी थी, तब से तो और भी ज़्यादा हैरान कर दिया है

क्योंकि अब वह डॉलर मांगता है......... ही ही ही ही ही

Monday, September 20, 2010

रंगलाल का हाल बेहाल मुम्बई में..........


रंगलाल को बहुत ज़ोर से रहा थालेकिन वो कर नहीं पा रहा थाकरने में और कोई दुविधा नहीं थीपरन्तु करता कैसेमुम्बई की भीड़ में एकान्त की सुविधा नहीं थीबेचारे के साथ अजीब टंटा हो गयारोके रोके जब पूरा एक घंटा हो गयाभीतर के जल का ज्वारजब सब्र के बाँध से भी बड़ा हो गयातो उसने आव देखा तावएक झाड़ की ले ली आड़औरदुनिया वालों से मुँह फेर कर खड़ा हो गयाएक पुलिस वाला देख रहा थावो आयाडंडा दिखाया और बोला - चलो !रंगलाल बोला - चलो..............चालोअरे हालो रे हालो........पण मोटा भाई पहले सुबूत तो उठालो !आज ये सामान यहाँ से नहीं उठाओगे

तो कल अदालत में क्या दिखाओगे ?

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Saturday, September 18, 2010

हमारे लोकतन्त्र की तरह भ्रष्ट हो गया है





पहले भी फटते थे बादल

लेकिन रोज़ नहीं, कभी-कभार


पहले भी गिरती थी बिजलियाँ

परन्तु साल में एक-दो बार


आते थे भूकम्प और भूचाल भी

मगर यदा-कदा, वार-त्यौहार


अब तो ये दैनन्दिन नाटक है

प्रभु ! ये आपका कैसा त्राटक है ?

लगता है आपका तंत्र भी,

हमारे लोकतन्त्र की तरह भ्रष्ट हो गया है

इसीलिए

मानव जीवन में इतना कष्ट हो गया है


अरे हटाओ अपने दागी अधिकारियों को

जो हमारे मर्मस्थलों में ऊँगली अड़ा रहे हैं


जिन खेतों को पानी चाहिए वे सूखे हैं

और बोरियों में भरे अनाज को सड़ा रहे हैं


विनती सुनलो रब जी

हम लोग बहुत ही त्रस्त हैं

पूरा संसार आपदाग्रस्त है




मैं ख़ुद ही चौराहे पे जा कर खड़ा हो सकता हूँ



नंगलाल -

पापा, आप दो लाख रूपया ढीला करो

तो मैं चौराहे पर आपकी मूर्ति लगवा सकता हूँ


रंगलाल -

बेटा, मूर्ति का क्या करना है,

दो लाख कोई मुझे दे दे तो मैं ख़ुद ही

चौराहे पे जा कर खड़ा हो सकता हूँ




Thursday, September 16, 2010

रंगलाल को नंगलाल का सही जवाब..............





नंगलाल ने नया नया भोजनालय खोला तो मुहूर्त के दिन रंगलाल भी

वहां गया और उसने खाना भी खाया । खाना खा कर रंगलाल ने सोचा

कि आज बेटे की दूकान का पहला दिन है, उसकी बोहनी खराब न हो

इसलिए थाली के पैसे दे देना चाहिए लेकिन नंगलाल चूँकि उसका बेटा है,

इसलिए पैसे वह लेगा नहीं, सो रंगलाल ने थाली के नीचे पचास का नोट

रख दिया जिसे नंगलाल ने देख लिया।


नंगलाल - नहीं पापा नहीं, ऐसा मत करो, ये नहीं चलेगा ..........

रंगलाल - रख ले बेटा रख ले...आज पहला दिन है....

नंगलाल - इसीलिए कह रहा हूँ कि ये नहीं चलेगा, आपने रखे हैं पचास

रूपये और माल खाया है एक सौ तीस का..........


Saturday, September 11, 2010

जवाब नहीं नंगलाल की नंगई का .............





नंगलाल - पापा, जब मैं बिजनैस करूँगा

तो अच्छों - अच्छों के हाथ में कटोरा पकड़ा दूंगा


रंगलाल - वो कैसे बेटा ?

नंगलाल - गोलगप्पे बेच कर ..........

Friday, September 10, 2010

जब जब इस ज्वालामुखी का लावा फूटता है , कोई न कोई रिकार्ड ज़रूर टूटता है




क्रिकेटर से मॉडल बने महेन्द्र सिंह धोनी ने एक बार फिर अपने

आप को खलीफा साबित कर दिया है, रन बनाने में भले ही वह

सचिन तेंदुलकर का मुकाबला न कर सके, लेकिन धन बनाने में

उसने सचिन को भी पछाड़ दिया है


इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विनोद काम्बली ने कहा कि पैसा तो

हाथ का मैल है. धोनी कितना ही धोले........सचिन का मुकाबला

नहीं कर सकता क्योंकि सचिन का बल्ला बहुत हार्ड है, ये आदमी

नहीं, एक रिकार्ड है, जब जब इस ज्वालामुखी का लावा फूटता है ,

कोई न कोई रिकार्ड ज़रूर टूटता है




Thursday, September 9, 2010

वाह शिला जी वाह ! इसे कहते हैं कॉमन वेल्थ के साथ गेम




# blue line के बाद अब delhi में blue lane का कहर टूट रहा है .

प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी में जुटी दिल्ली

जो कि पहले से ही डेंगू, बाढ़, भारी ट्रैफिक जाम, डाक्टरों की हड़ताल

और आपराधिक तत्वों के अलावा ब्लू लाइन बसों की मारी पड़ी है,

पर अब ब्लू लेन नामक नयी मुसीबत टूट पड़ी है


शिला से भी ज़्यादा कठोर इरादों वाली शीला सरकार के शिकंजे में

फंसी दिल्ली की जनता अब कुछ सड़कों पर, नीले रंग की ख़ास

पट्टी पर इसलिए वाहन नहीं चला सकेगी क्योंकि वहां पर खेलों का

ट्रायल चल रहा है मज़े की बात ये है कि गलती से कोई वाहन ब्लू

लेन पर चला गया तो दो हज़ार रुपया दण्ड तो भरना पड़ेगा, वाहन

ज़ब्त भी हो सकता है



वाह ! शिला जी वाह !

मज़ा गया ...इसे कहते हैं कॉमन वेल्थ के साथ गेम करना

Wednesday, September 8, 2010

ज़िन्दा अथवा मुर्दा नेता से इसका कोई लेना देना नहीं है



प्रधान मंत्री महोदय ने ताज़ातरीन हिन्दी फ़िल्मों में बढ़ती

अश्लीलता और नग्नता पर गहरा खेद व्यक्त किया है . उन्होंने

कहा कि हमारी संस्कृति को विकृत किया जा रहा है इसका

खामियाज़ा आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ेगा .


उनके इस बयाँ पर चुटकी लेते हुए विपक्ष के एक बुज़ुर्ग नेता

ने कहा कि आने वाली पीढियां तो पता नहीं कब खामियाज़ा

भुगतेगी............हम तो अभी से भुगत रहे हैं..........


काश ! ऐसी गरमा-गरम फ़िल्में उनके ज़माने में बनती

तो जवानी के दिनों में उन्हें ये सब देखने के लिए

अंग्रेज़ी फ़िल्में नहीं देखनी पड़ती।



# इस चुटकी के सभी पात्र काल्पनिक हैं -

किसी भी ज़िन्दा अथवा मुर्दा नेता से इसका कोई लेना देना नहीं है



Tuesday, September 7, 2010

प्यार को गोली मार..........मच्छर निकाल !




प्रेमी -

जानेमन..मेरी आँखों में झाँक और जल्दी से बता क्या दिखता है ?


प्रेयसी -

प्यार ......प्यार.........बस प्यार ही प्यार........


प्रेमी -

प्यार को गोली मार, आँख में मच्छर गिर गया है वो निकाल !

Sunday, September 5, 2010

शादी से पहले, शादी के बाद




शादी से पहले---------------

प्रेमिका - चाँद कहाँ है डार्लिंग ?

प्रेमी - चाँद तो दो-दो जगह हैं जानेमन !

एक मेरी गोद में और दूसरा आकाश में ...


शादी के बाद------------

पत्नी - चाँद कहाँ है पप्पू के पापा ?

पति - अन्धी है क्या ?

वो ऊपर आकाश में क्या तेरा बाप टार्च लेकर खड़ा है ?


Saturday, September 4, 2010

अन्तर्मुखता ही सच्चे शिक्षण की शुरूआत है -स्वामी रामतीर्थ




वास्तविक शिक्षा का आदर्श यह है

कि
हम अन्दर से कितनी विद्या

निकाल सकते हैं,

यह
नहीं कि बाहर से कितनी अन्दर डाल चुके हैं

-स्वामी रामतीर्थ


उन विषयों का पढ़ना

जो
हमारे जीवन में कभी काम नहीं आते,

शिक्षा नहीं है

-स्वामी रामतीर्थ


अन्तर्मुखता ही सच्चे शिक्षण की शुरूआत है

-स्वामी रामतीर्थ


Friday, September 3, 2010

कुल मिला कर चार सौ बीस हो




प्रेमिका
ने प्रेमी को बड़े प्यार से कहा -

तुम

70% सुन्दर हो

75% स्वीट हो

80% नॉटी हो

95% सच्चे हो

100% लवली हो

दुनिया से उन्नीस नहीं, इक्कीस हो,

लेकिन ये कोई ख़ुशी की बात नहीं

70+75+80+95+100

याने कुल मिला कर चार सौ बीस हो

Wednesday, September 1, 2010

अपमान भी बड़े सम्मान के साथ करती है

भारतीय नारी भले ही पति का ख़ून पीती है

परन्तु पारम्परिक संस्कार के साथ जीती है

भले ही वह प्राणनाथ से दो दो हाथ करती है

पर अपमान भी बड़े सम्मान के साथ करती है

विनम्रता और समझदारी

उसकी रग रग में बहती है

पति को वह सीधे सीधे 'अबे गधे' नहीं,

बल्कि गुप्त भाषा में ' जी' कहती है


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